Pradosh Vrat प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है. सूर्यास्त होने के बाद और रात्रि शुरू से पहले का समय प्रदोष काल कहलाता है. अलग-अलग शहरों में सूर्यास्त का समय भी अलग-अलग होता है, इसीलिए प्रदोष काल दो अलग-अलग शहरों के लिए अलग हो सकते हैं. --------------------------------------------------
पशुपति व्रत किस तरह करे, पशुपति व्रत की सम्पूर्ण विधि, पशुपतिनाथ व्रत की विधि, पशुपति व्रत कैसे करे – संपूर्ण जानकारी | पशुपतिनाथ का व्रत करने का मुख्य उद्देश्य भगवान शंकर को प्रसन्न करना होता है, इस व्रत को करने से पूर्व भक्तों को यह जानकारी होना चाहिए कि व्रत करने का उद्देश्य मात्र भूखा रहना ही नहीं है बल्कि भक्त उपवास को इसलिए कर रहा है जिससे वह अपने जीवन में भगवान शिव के प्रति प्रेम और अपनी आध्यात्मिक उन्नति कर सकें. पशुपतिनाथ व्रत के अनेकों लाभ है. पशुपति नाथ जी की कथा पशुपति नाथ की कथा का शिव महापुराण और रूद्र पुराण में कई बार वर्णन किया गया है कि जो भक्त पशुपतिनाथ जी की कथा को श्रद्धापूर्वक श्रवण करता है , श्रवण करने मात्र से ही उसके सारे पापों का अंत हो जाता है, उसे अत्यंत आनंद की प्राप्ति होती है और वह भगवान शिव का अत्यधिक प्रिय हो जाता है. एक समय, जब भगवान शिव चिंकारा का रूप धारण कर निद्रा ध्यान में मग्न थे. उसी समय दानवों और राक्षसों ने तीनों लोकों में त्राहि-त्राहि मचा दी, और इस तरह देवी-देवताओं पर भारी विपत्ति आ पड़ी. उस समय देवताओं को यह ज्ञात था कि इन राक्षसो...
टिप्पणियाँ