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प्रदोष व्रत की सम्पूर्ण जानकारी – पंडित प्रदीप मिश्रा

 Pradosh Vrat प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है. सूर्यास्त होने के बाद और रात्रि शुरू से पहले का समय प्रदोष काल कहलाता है. अलग-अलग शहरों में सूर्यास्त का समय भी अलग-अलग होता है, इसीलिए प्रदोष काल दो अलग-अलग शहरों के लिए अलग हो सकते हैं. --------------------------------------------------

गीता पाठ से मिलते हैं कई चमत्कारी लाभ


Bhagvad Gita Reading benefits


भगवद गीता सनातन धर्म का बहुत ही पवित्र ग्रन्थ है. भगवद गीता, रामायण महाभारत या वेदों की तरह सम्पूर्ण स्वतंत्र ग्रन्थ नही है, बल्कि यह महाभारत महाकाव्य के भीष्मपर्व का एक अंग है. महाभारत महाकाव्य जो कि महर्षि वेदव्यासजी के द्वारा रचित है और यह संसार का सबसे बड़ा महाकाव्य है, इस महाकाव्य के भीष्मपर्व में महाभारत युद्ध की शुरुआत होने का वर्णन किया गया है. महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को मनुष्यों के कल्याण हेतु दिए गए उपदेशों का संकलन ही भगवद गीता है. इस पवित्र ग्रन्थ में भक्ति, आत्मा, परमात्मा, कर्म और जीवन के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है. भगवद गीता में 18 अध्याय और लगभग 700 श्लोक हैं. और इन्ही श्लोकों में ही मनुष्यों की सम्पूर्ण जिज्ञाषा और परेशानियों हल लिखा हुआ है.

भगवद गीता में क्या लिखा है?

भगवद गीता में विभिन्न हिंदू विचारों का एक संश्लेषण प्रस्तुत किया गया है. इसमें ज्ञान, भक्ति, कर्म और राज योग को शामिल किया गया है. इसमें सांख्य-योग दर्शन के विचार भी शामिल हैं. भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण-अर्जुन संवाद में आध्यात्मिक विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, और इसके साथ ही नैतिक और नैतिक दुविधाओं और दार्शनिक मुद्दों को छुआ गया है जो अर्जुन के सामने आने वाले युद्ध से भी कहीं आगे जाते हैं.
भगवद गीता में ऐसी बहुत सी बातें बताई गयी हैं जो मनुष्यों को उनके जीवन की कई कठिनाइयों को आसान बना देती हैं. जब कोई व्यक्ति गीता पढ़ना शुरु करता है तो उसको बहुत सी नई जानकारियां भी मिलती जाती हैं. इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि हम सभी को अपने घर में भगवद गीता जरूर रखनी चाहिए और प्रतिदिन गीता-पाठ अवश्य करना चाहिए.
 भगवद गीता का नियमित पाठ करने से हमें हमारे जीवन की कई समस्याओं का हल मिल सकता है. इसके साथ ही भगवद गीता का प्रतिदिन पाठ करने से व्यक्ति में न सिर्फ सोचने समझने की क्षमता बढ़ती है बल्कि उसे कई प्रकार के चमत्कारी गुप्त लाभ भी होते हैं.

भगवद्गीता का पाठ करने के नियम

भगवद गीता का पाठ शांत भाव और पूरी श्रद्धा के साथ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन गीता पाठ का सर्वश्रेष्ठ फल प्राप्त करने के लिए इसे कुछ नियमों का पालन करते हुए पढ़ा जाना आवश्यक होता है. तो चलिए सब से पहले भगवद गीता पढ़ने के कुछ नियमों को जानते हैं......... 

  • श्रीमद्भगवद्गीता बहुत ही पवित्र ग्रन्थ है, इसलिए इसे हमेशा स्वक्षता पूर्वक ही स्पर्श करे, कभी भी इसे गंदे हाथों से न छुएं.
  • सुबह उठकर स्नान आदि करने के पश्चात पूजापाठ व जाप करें. और इसके पश्चात गीता का पाठ करें.
  • भगवान गणेश और श्री कृष्ण का अपने मन में ध्यान करते हुए गीता का पाठ आरम्भ करे.
  • गीता पाठ करने के लिए एक कुश का आसन या ऊनी आसन निर्धारित कर लें, प्रतिदिन उसी आसन पर बैठकर गीता का पाठ करें.
  • गीता का पाठ करते समय जो अध्याय शुरू किया है, उसे समाप्त कर के ही उठें.
  • गीता के प्रत्येक श्लोक को पढ़ने के पश्चात उसके अर्थ को और उसके सार को अच्छी तरह से अवश्य समझें.
  • गीता पाठ को किताब तक सीमित न रखें बल्कि उसके सार को अपने जीवन में उतारने की कोशिश करें.
  • गीता के पाठ को प्रतिदिन करने का नियम बनायें रखें.

भगवद्गीता का पाठ करने से लाभ

Bhagvad Gita Reading benefits


हमारे अनेक धर्माचार्यों एवं महान संतो का कहना है कि नियमित गीता का पाठ करने से न केवल उस व्यक्ति के जीवन में बल्कि उस व्यक्ति के पूरे परिवार पर गीता पाठ का चमत्कारिक असर देखने को मिलता है. इसके साथ ही नियमित गीता का पाठ करने से ऐसे कई चमत्कारिक लाभ होते हैं जिनके बारे में आम लोगों को पता ही नहीं होता है. तो चलिए भगवद गीता को नियमित पढ़ने से होने वाले कुछ फायदों को समझते हैं.........

  • गीता का पाठ करने से गीता के ज्ञान की प्राप्ति होती है. लेकिन इस ज्ञान के साथ साथ मन की शांति की भी प्राप्ति होती है. जिससे मन शांत एवं स्थिर रहता है. और हम अपने जीवन में अनेक सफलता प्राप्त करते जाते है.
  • नियमित गीता का पाठ करने से हमे अपने जीवन की अनेक परेशानियों के हल मिल जाते हैं.
  • गीता के पाठ को नियमित रूप से करने से हमे अपने बहुत से कष्टों से मुक्ति मिलती जाती है.
  • अनवरत गीता का पाठ करने से गीता पाठ हम सभी को सफलता की ओर ले जाता है.
  • नियमित गीता का पाठ करने वाले व्यक्ति को विषम परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता आ जाती है.
  • गीता का पाठ नियमित करने से घर में सुख शांति आती है, और साथ ही ग्रहों की भी शांति (ग्रहों की शांति के उपाय) स्थापित होती है.
  • जो व्यक्ति नियमित गीता पाठ करता है उसकी जन्म कुंडली में मौजूद सभी तरह के दोष समाप्त होते है.
  • गीता का पाठ करते समय हाथ में रक्षा सूत्र (कलावा) बांधने से नकारात्मक शक्तियां या नकारात्मक उर्जा दूर होती हैं, और दैवीय शक्तियों का संचार होता है.
  • गीता का पाठ करने वाला व्यक्ति अनेक बाधाओं की चपेट में आने से बचा रहता है.
  • गीता पाठ करने के साथ साथ यदि घर में यज्ञ करवाया जाए तो इससे वास्तु दोष का निवारण भी हो जाता है।
  • गीता का नियमित पाठ करने के प्रभाव से शत्रुओं द्वारा आपके विरुद्ध रचे गए सभी तरह के षड्यंत्र विफल हो जाते हैं, इस प्रकार गीता का पाठ ही शत्रुओं को पराजित करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है.
  • श्रीमद्भगवद्गीता गीता का नियमित पाठ करने से घर में मां लक्ष्मी का वास हमेशा बना रहता है.

तो इस तरह के अनेक चमत्कारी लाभ गीता का नियमित पाठ करने से प्राप्त होते हैं. अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए आप हमसे जुड़े रहें आपकी अपनी वेबसाइट geetapath.in के साथ. आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.

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