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प्रदोष व्रत की सम्पूर्ण जानकारी – पंडित प्रदीप मिश्रा

 Pradosh Vrat प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है. सूर्यास्त होने के बाद और रात्रि शुरू से पहले का समय प्रदोष काल कहलाता है. अलग-अलग शहरों में सूर्यास्त का समय भी अलग-अलग होता है, इसीलिए प्रदोष काल दो अलग-अलग शहरों के लिए अलग हो सकते हैं. --------------------------------------------------

शमी के पेड़ की पूजा कैसे करें | शमी के बृक्ष की पूजा करने का सही तरीका - पंडित प्रदीप मिश्रा

 शमी के पेड़ की पूजा कैसे करें

Shami tree


हमारे सनातन धर्म में शमी के बृक्ष को बहुत ही पवित्र और पूज्यनीय माना गया है. शमी के पौधे का पूजन करने से घर से दरिद्रता का नाश होता है और शनिदोष का प्रभाव भी कम होता है. जिस तरह तुलसी के पौधे में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास होने के कारण तुलसी का पौधा बहुत ही पूजनीय होता है.और भगवान विष्णु की पूजा करते समय तुलसी के पत्तों (तुलसीदल) को भगवान विष्णु को चढ़ाया जाता है. उसी तरह शमी का बृक्ष भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है, और शमी पत्र (शमी के पत्ते) और शमी पुष्प को भगवान शिव को अर्पित करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते है. लेकिन घर में शमी के पौधे को लगाने का सही तरीका और शमी के बृक्ष की पूजन करने का सही तरीके का ज्ञान होना अति आवश्यक है.इसलिए हम सभी लोगों को शमी के पेड़ की पूजा करने की सही विधि का जानना बहुत जरूरी है. इस बारे में पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने विस्तार से बताया है. तो अब हम सभी लोग समझते है कि पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने शमी बृक्ष की पूजन करने की क्या विधि बताई है.



शमी के बृक्ष का महत्त्व

हमारी धार्मिक मान्यताओं में पेड़ पौधे लगाना और उनकी हिफाजत करने की परंपरा रही है. ऐसे बहुत से बृक्ष है जिनकी सनातन धर्म में धार्मिक रूप से बहुत पवित्र माने जाते है. शमी का बृक्ष भी ऐसे ही पवित्र बृक्षों में शामिल है. हमारे धर्म में शमी के पेड़ का बहुत ही धार्मिक महत्त्व है.

  • पीपल के बृक्ष के विकल्प के रूप में शमी का बृक्ष

पीपल और शमी के बृक्षों पर शनि का प्रभाव बहुत अधिक होता है. चूंकि पीपल का बृक्ष बहुत बड़ा होने के कारण हम उसे अपने घर में लगा कर नियमित पूजा नहीं कर सकते है. जबकि शमी का बृक्ष छोटा होता है. इसलिए हम पीपल के बृक्ष की जगह शमी का बृक्ष अपने घर में लगा सकते है और उसकी नियमित पूजा कर सकते हैं. हमारे धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, यदि हमारे घरों में नियमित रूप से शमी की पूजा की जाती है और इस बृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है तो हम शनिदोष के कुप्रभावों से बच सकते हैं.

  • शनिदोष के प्रभाव को कम करके शनि के कोप से बचाता है

हमारे शास्त्रों में शनि देव को प्रसन्न करने के कई उपाय बताए गये है. शनि देव न्याय के देवता है अतः शनि देव की टेढ़ी नजर से बचाव के लिए शमी के बृक्ष की नियमित पूजा करनी चाहिए.
शनि देव को न्यायाधीश का स्थान प्राप्त है, अतः शनि की दशा आने पर हर एक जीव को अच्छे बुरे कर्मों का फल भुगतना पड़ता है. जबकि शमी बृक्ष की नियमित पूजा से शनिदोष का प्रभाव कम हो जाता है.

  • शमी बृक्ष से कई दोषों का निवारण होता है

शभी तरह के यज्ञों में शमी बृक्ष का उपयोग शुभ माना गया है क्योंकि शमी के पेड़ में देवताओं का वास होता है. इसके अलावा शमी के काँटों का प्रयोग नकारात्मक शक्तियों का नाश करने में भी किया जाता है. इसके साथ ही शमी बृक्ष के पांच अंग अर्थात फूल, पत्ते, जड़ें, टहनियां और रस का इस्तेमाल अनेक दोषों से मुक्ति पाने में किया जाता है.

इसके अलावा शमी बृक्ष आयुर्वेद की दृष्टि से भी अत्यंत गुणकारी औषधि मानी जाती है. कई रोगों के निवारण के लिए शमी बृक्ष के अंगों का उपयोग किया जाता है.


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